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Monday, September 3, 2012

कैसे जानोगे

कौन सच्चा है कौन झूठा...
ये कैसे जानोगे
इस बदलती दुनिया में किसे अपना मानोगे
जब खुद को ही नहीं पता अपने बारे में
भला औरों की कमियां कैसे निकालोगे

कोई अधिकार के साथ छोड़ दे..
कौन से कानून के पन्ने छानोगे
कौन अपना कौन पराया
तब कैसे जानोगे

साथ ना छोड़े वो निर्जीव होते हैं
जिनमे जान है वो दिमाग रखते हैं
और जब दिमाग चलेगा
तो तुम्हारे जीवन का सूरज ढलेगा

हर एक की ख्वाहिश कामयाब होने की है
सभी चाहते है जीवन को अंत तक
सफलता नहीं सभी के लिए बनी यहाँ
थक कर अपने उसूल बेचते लोग
उसूल बिकते ही धोखा होता है
कोई एक हँसता कोई एक रोता है

मैं ऐसी सफलता को नहीं मानता
जो किसी बड़ी सफलता को पाए
जो अपने जीवन के उसूल बेचे
और जीवन भर मुफ्त की खाए

ये भी एक अलग तरह का कला धन है
जिसके लिए नहीं कोई खड़ा हरदम है
एक आंधी की तरह आन्दोलन होना चाहिए
और ऐसे लोगो के खिलाफ भी कुछ नियम होने चाहिए

गर हो सहमत इन विचारो से
तो है आग्रह आप सभी बुद्धिजीवों से
ना बेचो तुम अपनी आत्मा और उसूल
इन्ही में एक दिन तुमको मिलेगी सफलता
और तुम हो जाओगे  मश -- हूर

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